शुद्ध हवा के लिए घर में लगा दिए एक हजार से अधिक पौधे और 500 गमले
स्मार्ट सिटी की जहरीली हवा से जहां लोग सांस और हृदय रोग जैसी बीमारियों के चपेट में आ रहे हैं। वहीं शहर में एक घर ऐसा भी है, जहां लोग बीमार ही नहीं पड़ते हैं। इसकी वजह ये है कि यहां लोग हरे-भरे पेड़ पौधों के बीच शुद्ध हवा में सांस लेते हैं। सेक्टर-21बी निवासी एमएल अग्रवाल कहते हैं कि पौधे घर के अंदर (इनडोर) हो या घर के बाहर (आउटडोर) वो पर्यावरण के लिए बेहतर हैं।
सेक्टरों में पेड़ लगाने के लिए जगह की कमी रहती है। ऐसी स्थिति में छत पर गमलों में लगने वाले पौधों के साथ-साथ इनडोर पौधे सबसे बेहतर विकल्प हैं, जो अपने आप के लिए एक एयर प्यूरिफायर हैं। इसी का आधार बनाते हुए उन्होंने घर में एक हजार से अधिक पेड़-पौध और 500 से ज्यादा गमले लगाए हुए है। इनसे आक्सीजन भी ज्यादा मिलती है और हवा में फिल्टर का काम करते हैं।
एमएल अग्रवाल ने बताया कि वह वर्ष 2002 से सेक्टर-21बी में रहते हैं। उन्हें पेड़-पौधों से प्यार और घर को हराभरा रखने की प्रेरणा पिता से मिली। वह भी घर को हमेशा हराभरा रखते थे। वहीं फरीदाबाद में प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रशासन की ओर से किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसने बचने के लिए उन्होंने घर को मिनी ग्रीन हाउस में तबदील कर दिया। अग्रवाल ने कहा कि उनका घर एक हजार गज में है।
करीब पांच सौ गज में रहने के लिए मकान बना रखा है, जबकि शेष 500 गज में पेड़-पौधे लगाए हैं। इन पौधों में तुलसी, मनी डेलिया, गुलबरी प्लांट, गेंदा, करनडोला, हारासागर के पेड़ इसके फूल और पत्ते चोट में काम आते है। इसके अलावा एलोवेरा, गुडहेल, पाम, चंपा, नीम, अमरूद, नीबू, सरीफा, कडी पत्ता, शहतूत, पपीता, करूंदा, केला आदि शामिल है। इसह तरह वह कभी बाजार से हरी सब्जियां नहीं खरीदते है। घर में ही पालक, धनिया, मूली, गाजर, शलगम और चुकुंदर लगा रखी है। फाइकस के कई पौधे लगे है। ये ऑक्सीजन देते हैं।